Saturday, July 26, 2014

"बतलाता है गढ़कुंडार"

जुल्मी , हुकूमत , तानाशाही ,
पाप , अराजक , व्यभिचार !
ये फसलें हैं कितने दिन की ?
लहरा लें दिन दो या चार !
आतंक रहा न रावण का ,
ना सदा कंस की सत्ता ही!
समय मसीहा बनकर आता ,
बतलाता है गढ़ कुंडार !!

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