समग्र
जुल्मी , हुकूमत , तानाशाही , पाप , अराजक , व्यभिचार ! ये फसलें हैं कितने दिन की ? लहरा लें दिन दो या चार ! आतंक रहा न रावण का , ना सदा कंस की सत्ता ही! समय मसीहा बनकर आता , बतलाता है गढ़ कुंडार !!
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