अग्रन्य सुत्त के दिघ्घ निकाय का किरदार हूँ
हाँ मैं यौद्धेय हूँ , मैं खङ्गार हूँ !
हाँ मैं यौद्धेय हूँ , मैं खङ्गार हूँ !
न किसी ब्रह्म के पेट से जन्मा , न छाती और भुजाओं से
न अनल यज्ञ से प्रगट हुआ , न ही शैल शिराओं से
मानव गति की प्रगति हेतु , मैं जन रक्षण का जिम्मेवार हूँ
हाँ मैं यौद्धेय हूँ , मैं खङ्गार हूँ !!
जन रंजन से मैं राजन , क्षत्रिय हूँ क्षति रक्षण से
खंगार हुआ हूँ असिधारण की कला विलक्षण से
मैं देश धरम के अरियों पर केवल बज्र प्रहार हूँ
हाँ मैं यौद्धेय हूँ , मैं खङ्गार हूँ !!
हाँ मैं यौद्धेय हूँ , मैं खङ्गार हूँ !!
मैं नाम, ग्राम, मैं हिमचोटि, मैं संज्ञा, मैं सर्वनाम
मैं ज्वालामुखी, हूँ भूगर्भ का ,क्रोध तमाम
सिमटूँ तो राख मात्र ,विस्तृत अंतरिक्ष का गार हूँ
हाँ मैं यौद्धेय हूँ , मैं खङ्गार हूँ !!
हाँ मैं यौद्धेय हूँ , मैं खङ्गार हूँ !!
मैं वीरों में श्रेष्ठ सुपूजित हूँ , मेरी कीर्ति के अनंत नाम
मैंने जहाँ जहाँ पग धरा , वे वीरों के पूज्य धाम
मैं जल में थल में नभ में सबका श्रृंगार हूँ
हाँ मैं यौद्धेय हूँ , मैं खङ्गार हूँ !!
कृति
अशोक सूर्यवेदी
मऊरानीपुर
मैंने जहाँ जहाँ पग धरा , वे वीरों के पूज्य धाम
मैं जल में थल में नभ में सबका श्रृंगार हूँ
हाँ मैं यौद्धेय हूँ , मैं खङ्गार हूँ !!
कृति
अशोक सूर्यवेदी
मऊरानीपुर