शेरों सा है शेर वंश ,
वीरों में है वीर वंश !
महारुद्र अंश ,
खंगार को नमन है !
नारी की सुरक्षा हित ,
वीरों की परीक्षा हित !
चमकी जो सदा ,
असिधार को नमन है !
केशर ने जौहर किया ,
मानी स्वाभिमानी थी !
भस्मी भूति देह ,
अंगार को नमन है !
जूझना परम्परा है ,
जुझौति वसुंधरा है !
वीरों का है धाम ,
कुण्डार को नमन है !!
.........."अशोक सूर्यवेदी"
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