कालिंजर कुंडार ,
महोबे पै फहराती जो ,
कीर्ति ध्वजा ,
खंगधारिओं ने फहराई है !
खजूरिया वो खजुराहो ,
कर रहा गुणगान ,
खेत सिंह हैं महान ,
युग नारी हरषाई है !
नंगी भोग्या जो ,
वस्तु बनी थी बाजार की ,
खेत सिंह राज्य ,
पूज्य ध्वजा बनी छाई है !
हुए जन बिह्वल ,
गायें सब करतल ,
हमें तो सत्ता श्रेष्ठ ,
खंगारों की ही आई है !
..........."अशोक सूर्यवेदी"
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