एक सरकारी अधिकारी ने चुनाव के समय मौका भांपकर .
एक भविष्यगामी सत्तापेक्षी प्रत्याशी पर दांव लगाया .
पद दुरूपयोग की सीमा तक काम और भारी भरकम खर्च भी उठाया .
चुनाव में सब खर्च ठीक ठाक कैसे चल रहा है नेता जी ने पता लगाया .
उन दान मूर्ति भामाशाह को बुलाकर अपने गले लगाया
उसने पूंछा श्रीमान आप यह सब मेरे लिए क्यों कर रहे हैं .
हम तो जनता के प्यार के मारे वैसे भी मर रहे हैं .
आपने बहुत किया अब बस बस कीजिये .
मुझसे जो भी काम हो निः संकोच कह दीजिये .
अधिकारी बोला श्रीमान क्षमा कीजिये हुज़ूर .
काम तो मेरा खास नहीं पर आपमें मिनिस्टर बनने का है शुरूर .
आप विधायक बनकर मंत्रीमंडल की शोभा बढ़ाएंगे.
बस उस समय ही हम अपना छोटा सा काम बताएँगे.
जिसे आप कर भी देंगे और हम आपके गुण भी गायेंगे .
और अगले चुनाव में दूनी ताकत से आपके काम भी आयेंगे .
भाग्यबस वह नेताजी चुनाव भी जीते और मंत्री भी बन गए .
उनके घर वाले और समर्थक भी सूखी लकड़ी से तन गए .
किसी दिन वह अधिकारी महोदय मंत्री जी से मिलने आये .
उन्होंने अपने काम बताये सुनकर भी मंत्री जी की समझ न आये .
बोले देखिये साफ़ साफ़ बताएं हम आप जैसे अधिकारी को सस्पेंड क्यों कराएँ .
यह हमसे किसी प्रकार नहीं बन सकता की हम आप को नुक्सान पहुंचाएं .
अधिकारी बोला श्रीमान आप हमें भ्रष्टाचार और पद दुरूपयोग आरोपों में हटाने का आदेश कीजिये .
आपकी शोहरत में चार चाँद लग जायेंगे और हमारी भी दुआ लीजिये .
दर असल गाँव में काम सम्हालने वाला कोई नहीं होने से भरी नुकसान उठाना पड़ रहा है .
बड़ी जायदाद है बिजली का बिल मुफ्त में चुकाना पड़ रहा है .
आप चिंता छोडिये और मुझे चार साल के लिए सस्पेंड कीजिये .
यदि नाचीज़ को लायक समझे तो पांचवे वर्ष सवेतन बहाल कीजिये .
इसमें दोनों ही काम बन जायेंगे मेरा घर और नौकरी बनी रहेगी आपके फिर काम आयेंगे.