Saturday, July 18, 2020

कुत्ते का बोझ

जा रही थी बैलगाड़ी ,जुते थे बैल, हाँक रहा था किसान ,लदा था धान्य ! था किसान का कुत्ता ,चल रहा था साथ ... कुत्ते चला ही करते हैं मालिक के पीछे ..क्या अचरज की बात 😉 ...बदौलत बैलों की निर्देशन किसान का  जा रही थी गाड़ी ..धड़क धड़क ...  रास्ते में खड़े थे हम खामखा ... देखा माजरा ...गाड़ी पर किसान... गाड़ी में धान्य ... और जुते हुए बैल ..हम चकराए ... क्योंकि सीन थोड़ा और था बैलगाड़ी के नीचे हांफ रहा कुत्ता था ...और हम ठहरे पढ़े लिखे आदमी यानि बुद्धिजीवी  .. और ऊपर से बुद्ध के अनुगामी ... और शाक्यसिंह ने सिखाया है कि "सब जीव जगत के समान हैं" ... सो  सो सो सो  हमने कुत्ते को किया प्रणाम और पूँछा हे श्रीमान  ... बित्थे भर की जीभ निकाले आप काहे हांफ रहे हो जबकि गाड़ी की छांव में खड़े हो ..?? ...  भौंकने लगे ...भड़कने लगे .. गनीमत रही कि आदर के वशीभूत थे सो काटने नही दौड़े ... हमने तुरंत जोड़ लिए हाथ .. और जताते हुए आदर पूँछा भौंकने का कारण ... फिर जो बताया कुत्ता जी ने सुनकर आप हो सकते हैं हैरान ... हालांकि हमने बचाई अपनी जान ... कहा था श्रीमान ने  ..बने फिरते हो बुद्धिजीवी और हो एक नम्बर के बुद्धू अकल है नही और खड़े हो गए सामने चोंच लड़ाने .. ये बैलगाड़ी ,,,इसमें लदा धान्य ,, और ऊपर बैठा किसान ... और जुएँ में जुते दो बैल  ... और सबके नीचे खड़ा मैं ... इतना भार उठाये हूँ ... और तुम मिस्टर खामखा बुद्धिजीवी ! हमसे कर रहे हो सवाल कि बित्थे भर की जीभ निकाले काहे हांफ रहे हो ........ ???  फिर भाग लिए हम .. कुत्तों का क्या भरोसा .. साले अनपढ़ अनाड़ी काट लें तो 😉 .. और का ...😆😆😆😆😆