Monday, July 21, 2014

गिद्ध वासनी पुकारती है

काशी जैसी पुण्य भूमि ,
वीरों की ये वीर भूमि !
चोरों का है गढ़ हमें ,
ये न बतलाइए !
राष्ट्र हित धर्म हित ,
उठाया है खड्ग नित!
गाथा खंगारों की छुपी ,
पर्दा हटाइए !
भारती के पूतो ,
गिद्ध वासनी पुकारती है !
खेतसिंह जैसे सिंह ,
को न विसराइए !
बांदेलों का कहा सुना ,
सत्य से है परे सदा !
अंधी कानी दौड़ में न ,
कलम लजाइए .....!!

अशोक

No comments:

Post a Comment