अशोक सूर्यवेदी
समग्र
Wednesday, September 17, 2014
व्यर्थ पटक कर हाँथ पैर अब , थक कर बैठा गढ़ कुंडार !!
लिखा नियति ने जो किस्मत में,
रख , उस पर ही अधिकार !
आन मिलेगा तुझे वक्त पर ,
व्यर्थ न श्रम तू कर बेकार !
वक़्त से पहले अधिक भाग्य से ,
मिला किसे कब जीवन में !
व्यर्थ पटक कर हाँथ पैर अब ,
थक कर बैठा गढ़ कुंडार !!
............
" अशोक सूर्यवेदी "
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