समग्र
रत्न जडित स्वर्ण सिंहासन , मुक्ता मणियों के उर हार ! शीश मुकुट बहु बेशकीमती , सब हो गए हैं क्षार क्षार ! दुनियां वालो देखो नाटक , नियति नटी के नर्तन का ! काल चक्र के झंझावत में , बचा अकेला गढ़ कुंडार !! ..................."अशोक सूर्यवेदी"
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" शनिवार 26 दिसम्बर 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" शनिवार 26 दिसम्बर 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
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