समग्र
धीर सुतों का ह्रदय रक्त जों , बना प्रसूता का सिंगार ! वीर सुतों के वर शीशों पर , इतराता है बारम्बार ! इतिहासों ने किया किनारा , बूढ़े की बातों से पर - बार बार बलिदानी गाथा , दोहराता है गढ़ कुंडार !! ................."अशोक सूर्यवेदी "
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