Sunday, July 27, 2014

"देख चुका है गढ़कुंडार"

शौर्य वीरता के दिन देखे ,
भोगे बिलास बेशुमार !
सदा न शासक रहे चंदेले ,
रह न पाए राय खंगार !
ये शासन सत्ता राजलक्ष्मी ,
एक जगह कब ठहरे हैं ?
कैसे कैसे रूप बदलते ,
देख चुका है गढ़ कुंडार !!

"अशोक सूर्यवेदी"

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