समग्र
शौर्य वीरता के दिन देखे , भोगे बिलास बेशुमार ! सदा न शासक रहे चंदेले , रह न पाए राय खंगार ! ये शासन सत्ता राजलक्ष्मी , एक जगह कब ठहरे हैं ? कैसे कैसे रूप बदलते , देख चुका है गढ़ कुंडार !!
"अशोक सूर्यवेदी"
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