समग्र
यौवन का रसिया जग सारा , बना रहे जब तक सिंगार ! सकल साधना चुक जाती है , मित्थ्याकर्षण का आधार ! देख मनुज की दुर्बलता को , ही ख़ामोशी ओढ़ गया ! न उपेक्षा न ही इच्छा अब , पाला करता गढ़ कुंडार !! ......................"अशोक सूर्यवेदी"
SAHI BAAT HAI .......
SAHI BAAT HAI .......
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