Friday, March 26, 2010

MAHARAJA KHET SINGH KHANGAR

राष्ट्र धर्म और जुझारू संस्कृति के जनक
महाराजा खेत सिंह खंगार
                                                          अशोक सूर्यवेदी
**********************************************

वीर प्रसूता पावन भू पर , वीर खंगारों सी संतान !
सदियों का इतिहास बताता ,खंगार वीर थे बड़े महान !
खंग अंग जो धारण करते कहलाते थे वो खंगार !
 इसी जुझौति में जन्मे थे एक राजन ऐसे खेत खंगार !
शेरों से बिन शस्त्र वो लड़ते बज्र देह वाले थे खेत !
खड्ग धार जब रण में डटते बैरी नवते सैन्य समेत !
बैशाख मास अक्षय तृतीया तिथी पुनीता !
खेतसिंह ने गण परिषद् का बहुमत जीता !
धसान बेतवा यमुना के जल से पावन अभिषेक हुआ !
विंध्याचल मुदित मन भारी उत्सव यह देख हुआ !
सिंहासन पर बैठा नायक चंदेलों का दिल धक् धक् धड़का !
आततायी यवनों का भी रक्त धमनियों में छनका !
आशा टूटी पड़िहारों की गोंडों के सपने टूट गए !
क्रूर अधर्मियों के अल्ला भी उनसे रूठ गए !
दिल्ली पर शासन करते थे राजन प्रथ्वीराज महान !
मित्र बनाया खेत सिंह को बड़ी दिनोदिन उनकी शान !
विजय महोबा किया खेत सिंह उदल ना सह पाया वार !
आल्हा और परमाल से योद्धा रण से छोड़ भागे संग्राम !
खंगार वीर का लौह मना दिल्ली पति ने महोबे माह  !
विजय तिलक कर खेत सिंह का दिल्ली शासन की दी छांह !
आतंक तभी गौणों का सीमा लाँघ गया सिर होकर पार !
चैन की साँसे दी जनता को गोणों का कर के संहार !
प्रथ्वी राज मुदित मन भरी खेत सिंह की जय जयकार !
जूझ के जीने मरने वालों का ही  धाम बना है गढ़ कुंडार !
तभी तराइन की भूमि पर गौरी ने दे दी ललकार !
क्षमा दान पा गीदड़ ने फिर सिंहों पर कर दीन्हा वार !
रणसींगा बज उठा युद्ध का भूमि तराइन में ललकार !
हिंदी हिन्दू हिंद के रक्षक कूंद पड़े रण ले तलवार !
हुआ युद्ध तब महा भयंकर बिजली सी चमकी तलवार !
लावा फूट पड़ा आँखों का बनकर लोहू पी असिधार !
हा पत्नातुर हुआ बिधाता सर्व खर्व का दाता आज !
वीर प्रश्वनी भू पर टूटी गद्दारी की भरकम गाज !
प्रथ्वीराज छले गए रणमें हतप्रभ राह गया वीर समाज !
हाय तराइन चींख पड़ी साँपों से कैसे बंध गया बाज !
लेकिन जाने से पहले वो करतब दिखा गए चौहान !
बिन आँखों के तीर चलाकर मार गिराया था सुल्तान !
क्षात्र धर्म को किया कलंकित जयचन्द्र ने बनकर गद्दार !
अपने घर में आग लगाकर कौन बना है सूबेदार !
गद्दार के संग गद्दारी कर दी पीठ में घौंपी थी तलवार !
घर के भीतर फूट हुयी तो बनी मुसल्लों की सरकार !
त्राहिमाम कर उठा सनातन देख मुसल्ला अत्याचर !
स्वर्ण सुंदरी के लोभी वे मर्यादा पर करते वार !
मित्र सखा संरक्षक छीना अनहोनी ने कर प्रहार !
ना हुए निराश खेत सिंह जी करते रहे वार पर वार !
दिल्लीपति का शोक मना ले इतना समय नहीं था पास !
क़तर द्रष्टि देख रही थी उनकी और सभी की आस !
राष्ट्र धर्म सर्वोच्च मानकर हिन्दू शासन दिया करार !
खंड जुझौती राज्य बनाया जन जन को सौंपी तलवार !
एक जुझारू नीति बनाकर रक्कस का कर दिया प्रसार !
सीमा को निज पुत्र सौंप कर शिशु को रक्षक दिया करार !
नारी राष्ट्र  ध्वजा भारत की निर्बल हमें नहीं स्वीकार !
वीर प्रश्वनी माताएं भी शस्त्र करें अब अंगीकार !
खड्ग थमा दी पुरुषों को देकर सीमा का अधिभार !
और खंगोरिया महिलाओं को  दुर्गा शक्ति का अवतार !
सामंत मित्र और सैन्य मिलकर संघ बनाया तब खंगार !
जुझौती खंड हित जूझा है जो खंग आरोति वह खंगार !
राष्ट्र धर्म के हित चिंतन को संघ बनाया था खंगार !
वेत्रवती से चम्बल तक फैली वीर खंगारों की सरकार !
धर्म प्रिय थे रा खेत सिंह किया धर्म का बहुत प्रसार !
मां गजानन शक्तिपीठ मंदिर बनवाया गढ़ कुंडार !
स्वाभिमान और देश की खातिर खंग अंग जो करते धार !
विजय सदा उनकी ही चेरी जो दुश्मन पर करते वार !
सदा समर में जीती शक्ति नहीं सुहाए हैं मनुहार !
यदि समर से मुह मोड़े तो उस शासन को है धिक्कार !
राष्ट्र धर्म और क्षात्र धर्म का पाठ पढ़ा गए हैं महाराज !
विजय पराजय ना लख जुझौ यही सिखा गए  हैं महाराज ! 
जब तक नीर बहे बेतवा साक्षी जब तक गढ़ कुंडार !
वीर ! दिवाकर गाथा गए यूँ ही तेरी जय जय  खंगार !!!!
*******************************************************
जय सौराष्ट्र --- जय गिरनार !!!
जय जुझौती----- जय कुंडार!!!

************************************
कृति
अशोक सूर्यवेदी एड. 
मऊरानीपुर ( झाँसी )  




38 comments:

  1. JARURAT HAIN SAVI KHANGAR JATI KE LOGO KO EK SATH AAGE AANE KI AUR SAMAJ KO AUR MAJBUT BANANE KI.
    ISI DISHA MAIN AKHIL BHARTIYA KHANGAR KHASTRIYA SAMAJ KI STAPHNA KI GAYI HAIN.
    JISKI IKAIYAN HAR RAJYA MAIN HOGI!
    ABKKS
    BIHAR STATE!

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  2. Akhil bhartiya stur par yadi samaaj ka vikaas chahte ho to naariyon ko aagey lana hoga jisse samaj ka vikas hoga.
    Nivedak
    smt Meera parihar
    Gayatri pariwar Dabra Gwalior

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  3. VERY NICE LINE
    jai khangar jai grah kundar

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  4. jhujharu sanskrtati k janak maharaja khet singh ki jai ho jai gajanan mata ki

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  5. jai khangar......K.K.Rai....bhopal

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  6. ankit khangar me banda se ho mo no 8953669180

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  7. Hame garv hona chahiye ki Ham Khangar kshatriya vans k h..jai gajanan mata .jai khangar samaj.

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  8. hame garv h ki ham khangar h jai gajanan mata ki jai khangar samaj

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  9. Bahut accha laga.maharaja sahab ki jayanti per sabhi ko bahut-2 badhaiya.

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  10. सभी समाज बंधुओ को महाराजा खेत सिंह की जयंती 27,दिसम्बर 2015 के शुभ दिन पर सभी को बहुत बहुत बधाई हो। धन्यवाद


    इंजी. जयहिंद सिंह परिहार
    झाँसी (9936200200)

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  11. My 1st visit at garh kundar...im verry happy feel in garh kundar...happy new year...jay maa gajanan mata ki...

    From surat( gujarat )

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  12. वीर प्रसूता पावन भू पर , वीर खंगारों सी संतान !
    सदियों का इतिहास बताता ,खंगार वीर थे बड़े महान !
    खंग अंग जो धारण करते कहलाते थे वो खंगार !
    इसी जुझौति में जन्मे थे एक राजन ऐसे खेत खंगार !
    शेरों से बिन शस्त्र वो लड़ते बज्र देह वाले थे खेत !
    खड्ग धार जब रण में डटते बैरी नवते सैन्य समेत !
    बैशाख मास अक्षय तृतीया तिथी पुनीता !
    खेतसिंह ने गण परिषद् का बहुमत जीता !
    धसान बेतवा यमुना के जल से पावन अभिषेक हुआ !
    विंध्याचल मुदित मन भारी उत्सव यह देख हुआ !
    सिंहासन पर बैठा नायक चंदेलों का दिल धक् धक् धड़का !
    आततायी यवनों का भी रक्त धमनियों में छनका !
    आशा टूटी पड़िहारों की गोंडों के सपने टूट गए !
    क्रूर अधर्मियों के अल्ला भी उनसे रूठ गए !
    दिल्ली पर शासन करते थे राजन प्रथ्वीराज महान !
    मित्र बनाया खेत सिंह को बड़ी दिनोदिन उनकी शान !
    विजय महोबा किया खेत सिंह उदल ना सह पाया वार !
    आल्हा और परमाल से योद्धा रण से छोड़ भागे संग्राम !
    खंगार वीर का लौह मना दिल्ली पति ने महोबे माह !
    विजय तिलक कर खेत सिंह का दिल्ली शासन की दी छांह !
    आतंक तभी गौणों का सीमा लाँघ गया सिर होकर पार !
    चैन की साँसे दी जनता को गोणों का कर के संहार !
    प्रथ्वी राज मुदित मन भरी खेत सिंह की जय जयकार !
    जूझ के जीने मरने वालों का ही धाम बना है गढ़ कुंडार !
    तभी तराइन की भूमि पर गौरी ने दे दी ललकार !
    क्षमा दान पा गीदड़ ने फिर सिंहों पर कर दीन्हा वार !
    रणसींगा बज उठा युद्ध का भूमि तराइन में ललकार !
    हिंदी हिन्दू हिंद के रक्षक कूंद पड़े रण ले तलवार !
    हुआ युद्ध तब महा भयंकर बिजली सी चमकी तलवार !
    लावा फूट पड़ा आँखों का बनकर लोहू पी असिधार !
    हा पत्नातुर हुआ बिधाता सर्व खर्व का दाता आज !
    वीर प्रश्वनी भू पर टूटी गद्दारी की भरकम गाज !
    प्रथ्वीराज छले गए रणमें हतप्रभ राह गया वीर समाज !
    हाय तराइन चींख पड़ी साँपों से कैसे बंध गया बाज !
    लेकिन जाने से पहले वो करतब दिखा गए चौहान !
    बिन आँखों के तीर चलाकर मार गिराया था सुल्तान !
    क्षात्र धर्म को किया कलंकित जयचन्द्र ने बनकर गद्दार !
    अपने घर में आग लगाकर कौन बना है सूबेदार !
    गद्दार के संग गद्दारी कर दी पीठ में घौंपी थी तलवार !
    घर के भीतर फूट हुयी तो बनी मुसल्लों की सरकार !
    त्राहिमाम कर उठा सनातन देख मुसल्ला अत्याचर !
    स्वर्ण सुंदरी के लोभी वे मर्यादा पर करते वार !
    मित्र सखा संरक्षक छीना अनहोनी ने कर प्रहार !
    ना हुए निराश खेत सिंह जी करते रहे वार पर वार !
    दिल्लीपति का शोक मना ले इतना समय नहीं था पास !
    क़तर द्रष्टि देख रही थी उनकी और सभी की आस !
    राष्ट्र धर्म सर्वोच्च मानकर हिन्दू शासन दिया करार !
    खंड जुझौती राज्य बनाया जन जन को सौंपी तलवार !
    एक जुझारू नीति बनाकर रक्कस का कर दिया प्रसार !
    सीमा को निज पुत्र सौंप कर शिशु को रक्षक दिया करार !
    नारी राष्ट्र ध्वजा भारत की निर्बल हमें नहीं स्वीकार !
    वीर प्रश्वनी माताएं भी शस्त्र करें अब अंगीकार !
    खड्ग थमा दी पुरुषों को देकर सीमा का अधिभार !
    और खंगोरिया महिलाओं को दुर्गा शक्ति का अवतार !
    सामंत मित्र और सैन्य मिलकर संघ बनाया तब खंगार !
    जुझौती खंड हित जूझा है जो खंग आरोति वह खंगार !
    राष्ट्र धर्म के हित चिंतन को संघ बनाया था खंगार !
    वेत्रवती से चम्बल तक फैली वीर खंगारों की सरकार !
    धर्म प्रिय थे रा खेत सिंह किया धर्म का बहुत प्रसार !
    मां गजानन शक्तिपीठ मंदिर बनवाया गढ़ कुंडार !
    स्वाभिमान और देश की खातिर खंग अंग जो करते धार !
    विजय सदा उनकी ही चेरी जो दुश्मन पर करते वार !
    सदा समर में जीती शक्ति नहीं सुहाए हैं मनुहार !
    यदि समर से मुह मोड़े तो उस शासन को है धिक्कार !
    राष्ट्र धर्म और क्षात्र धर्म का पाठ पढ़ा गए हैं महाराज !
    विजय पराजय ना लख जुझौ यही सिखा गए हैं महाराज !
    जब तक नीर बहे बेतवा साक्षी जब तक गढ़ कुंडार !
    वीर ! दिवाकर गाथा गए यूँ ही तेरी जय जय खंगार !!!

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  13. खंगार जाति की उत्पत्ति की वंशावली की जानकारी चाहिए थी
    प्लीज हमे बताऐ
    dahiya.lalbahadur@gmail.com per dijiye

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    1. वंशावलियों के लिए भाटों से संपर्क करें

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    2. Unse sampark kaise kare
      agar Aap ke paas unka cont. no. ho to digiye
      Dhanaywad

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    3. narendrathakur270@gmail.com
      09977772498

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  14. kripya aur adhik jankari uplabdh karaiye
    khangar samajh ki
    singha919@gmail.com

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  15. Khangar hai hi saandar hum hai khangar kshatriya garv hai


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  16. Ajay Singh
    07697919878
    chhatarpur mp

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  17. आज पत्ते पत्ते बोल उठे है भाईसाब

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  18. Ham kshatriya hai or hame hamare viron pr garv , but bhaiyo fir kyu hame mp or Rajasthan me schedule cast me daalo hua hai. This is wrong yr very shamed. Plz vansh ke varishth log aavaj uthaiye or hame general me laiye plzzzz

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  19. Mujhe jabab chahiye Kyu esa Kiya Gaya, Kyu hame stsc me rakha hai , konse kshatriya schedule cast hote hai yr vir kab se nichi cast ke hone lage.jo bhi hamare vansh ko represent karta hai jo adhyaksh hai mujhe jabab chahiye un sab se

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  20. My self Suresh Singh thakur sons of Mr. Dayal singh thakur from nagda jn Madhya Pradesh my contact number is 7710987347.thanks

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  21. No problem small king will be big king

    Raja kamal Singh bundela mahoba.

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  22. Maharaj khet Singh khungar ki Jay hoti
    Rhe.
    Thanks
    Raja kamal Singh bundela
    9650788215

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  23. Me proud feel karta hu ki me khngar hu

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  24. जय मा गजानन जय महाराजा खेत सिंह खंगार जी जय राजपूताना

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