Saturday, December 5, 2009

HUM HAIN KHANGAR


*** हम हैं खंगार ***
                                                                                                      अशोक सूर्यवेदी

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सोरठ कच्छ गुजरात जुझौती का ,शासक था जो वंश खंगार ।

उसी वंश की संतति हैं हम , गर्व हमें हम हैं खंगार !

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सोरठ का था सिद्ध पुरूष ,वह रा कवाट का पुत्र खंगार !

प्रजापति प्रतिपालक राजा ,रानक दे का पति खंगार !

सिद्ध राज भी कभी समर में ,हुआ न जिसके सम्मुख पार !

गद्दारी की गाज गिरी तो, क्षार हुआ फिर वह अंगार !

सिद्ध राज ने चोरी चुपके  , खंगार वीर का नाश किया !

रानक दे फिर सती हुई , और वीर प्रष्ट का अंत हुआ !

रानक दे यों सती हुयी कि तारीखों ने किया सिंगार !

उसी वंश कि संतति है हम ,गर्व हमें हम हैं खंगार !

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है प्रसिद्द गुजरात जगत में ,कच्छ पति वह जाम खंगार !

हम्मीर गृहे वो जन्मा यों ,ज्यों दशरथ के हो राम खंगार !

दो हाँथ विप्पत्ति से करते ही, बचपन उसका बीत गया !

रन कौशल संग नीति विधि ले , अजेय हुआ सब जीत गया !

सागर ने अभिषेक किया तब , कच्छ पति  जब बना खंगार !

उसी वंश कि संतति है हम , गर्व हमें हम हैं खंगार !

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अब आओ बात करें धरा की  ,जिसके जल में है अंगार !

पानी दार है मानी जिसका, खड्ग देह का है सिंगार !

है खंड बुंदेलखंड जो अब , तब जुझौती खंड कहलाता था !

यवन काल में जिसके सर केशरिया फहराता था !

वीर जुझौती की  ही रजधानी, था ये गढ़ कुंडार !

उसी वंश कि संतति है हम , गर्व हमें हम हैं खंगार !

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हुए यहाँ पर भूपति खेता ,खींची पज्जुन राय खंगार !

नहीं समर में सानी जिनका ,सदा दाहिने थी तलवार !

दिल्लीपति चौहान भी जिनके, बल पर ही दम भरता था !

खेता खंगार चामुंडा राय को, रण में दायें करता था !

काल चक्र से टूटीं कड़ियाँ ,शेष है "साक्षी" गढ़ कुंडार !

उसी वंश कि संतति हैं हम, गर्व हमें हम हैं खंगार !

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द्वारा:-
अशोक सूर्यवेदी
मऊरानीपुर  झाँसी
उत्तर प्रदेश 
मो.९४५००४०२२७


4 comments:

  1. अच्छी रचना। बधाई। ब्लॉगजगत में स्वागत।

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  2. Blog jagat me snehil swagat hai!

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  3. आपसे परिचय पाकर हमें भी खुशी हुई
    स्वागतम

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