दुनिया के 30 देशों में रोमा समुदाय लोगों की संख्या करीब 2 करोड़ है। ये उन बीस हजार भारतीयों के वंशज हैं जिन्हें दो हजार वर्ष पहले सिंकदर अपने साथ यूरोप ले गया था। इनमें लोहे के हथियार बनाने और चलाने वाले लोग अर्थात आयुधजीवी यौद्धेय , शिल्पकार और संगीतज्ञ थे। ज्यादातर रोमा रूस, स्लोवाकिया, हंगरी, सर्बिया, स्पेन और फ्रांस में बसे हैं। जबकि कुछ रोमानिया, बुल्गारिया और तुर्की में हैं। इनमें भारत की बंजारा, गुर्जर, सांसी, चौहान, खंगार , सिकलीगर, ओड आदि जातियों के लोग हैं।
रोमा समुदाय के लोग विलक्षण प्रतिभा के धनी हैं। इन्हें सर्वोत्तम नर्तक और संगीतकार के रूप में जाना जाता है। फिरदौसी द्वारा लिखित शाहनामा के मुताबिक पांचवीं शताब्दी में ईरान के राजा बैराम गुर के निवेदन पर एक भारतीय राजा ने वहां राष्ट्रीय उत्सव के लिए 20 हजार संगीतकार भेेजे थे। आज उन्हीं के वंशज सारे यूरोप में प्रसिद्ध कलाकार हैं। अपनी अस्मिता पर गर्व के कारण रोमा लोगों ने कठिनतम परिस्थितियों में से गुजरते हुए भी अपनी परंपराओं को जीवित बनाए रखा। वे खुद को "रामा नो छावा" अथार्त् राम के बच्चे कहते हैं .......!!
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