Thursday, February 4, 2016

बुंदेलखंड के चौकीदार

भारत वर्ष में चौकीदारी परम्परा अत्याधिक प्राचीन है !  दिघ निकाय के आगण सुत्त के अनुसार पृथ्वी की उत्पत्ति के बाद जब जीवो का क्रमिक विकास हुआ और उनमे तृष्णा लोभ अभिमान जैसे भावो का जन्म हुआ तो उन प्रारंभिक सत्वो में विभिन्न प्रकार की विकृतियां पैदा हुईं और आयु में क्रमश: कमी होने लगी | इसके बाद वे लोग चोरी जैसे कर्मो में प्रवृत्त होने लगे और पकडे जाने पर क्षमा याचना पर छोड़ दिए जाने लगे किन्तु लगातार चौर्यकर्म करने के कारण सभी जन समुदाय परेशान हो एक सम्माननीय व्यक्ति के पास गए और बोले तुम यहाँ अनुशासन की स्थापना करो, उचित और अनुचित का निर्णय करो , हम  तुम्हें अपने अन्न में से हिस्सा देंगे उस व्यक्ति ने यह मान लिया | चूँकि वह सर्वजन द्वारा सम्मत था इसलिए महासम्मत नाम से प्रसिद्द हुआ ,  लोगों  के क्षेत्रों  (खेतों) का रक्षक था इसलिए क्षत्रिय हुआ और जनता का रंजन करने के कारण राजा कहलाया !
  इस प्रकार  सभ्यता के विकास के साथ ही जब मानव ने कृषि और पशुपालन की शुरुआत की तभी उपज और पशुधन की निगरानी और रक्षण के लिए चौकीदार वर्ग की आवश्यकता महसूस हुई , इस दायित्व का निर्वाह स्थानीय जाति के किसी एक वर्ग ने किया जो आगे चलकर उनकी आजीविका चलाने  के लिए आरूढ़ हो गया ! ऐसा प्रतीत होता है कि अन्य जगहों की तरह भारत में भी ऐसे परिवार जिनका जीवन निर्वाह किसानों की वार्षिक उपज में उनकी भागीदारी पर आधारित हुआ एक उपजाति के रूप में पहचाने गए और उनका यह कार्य वंशानुगत हो गया ! ब्रिटिश काल में यह जातियाँ अपराधी के रूप में चिन्हित की गयीं और परंपरागत रूप से उन्ही के ही एक वर्ग को अपने ही साथियों के खिलाफ अभियान चलाने के लिए नियुक्त किया गया ! एक क्षेत्र विशेष की  पुरानी जाति सूचि में "चोर और चौकीदार" जैसे विरोधाभाषी वर्णन पाये जाते हैं ! यह संयोग दो विरोधाभाषी कार्य करने वालों के लिए उपयुक्त प्रतीत होता है जो भारत के पहाड़ी , जंगली और मैदानी इलाकों में फैले हुए हैं ! ब्रिटिश काल में भी ग्रामीण चौकीदार का पद एक प्रमुख शासकीय कार्य था जो सामान्यतः मूल निवासी जाति द्वारा सृजित किया जाता था ! ब्रिटिश लेखक आर. वी. रसेल ने " The Tribes and Caste Of The Central Provinces Of India में लिखा है कि जो पूर्व में प्रमुख अपराधी जातियाँ थी उन्हीं में से चौकीदारों की नियुक्ति की जाती थी और उन्हें दी जाने वाली पगार के बदले उनके स्वजातियों के अपराधों की परख और उनके द्वारा संपत्ति का नुकसान रोकने की कवायद अपेक्षित थी जातियों का वर्ग जिसने यह पद सम्हाला एक विशेष वर्ग के रूप में विकसित हुआ जैसे खंगार , चढ़ार और छत्तीसगढ़ में चौहान .......!!
               बुंदेलखंड में चौकीदारी ब्रिटिश राज के Police Regulation Act द्वारा अधिनियमित की गयी ! जिसके अनुसार चौकीदार गाँव का एक शासकीय सेवक होता है जिसका प्रमुख कर्त्तव्य अपने प्रभार के गाँव में पहरा देना तथा गाँव की रखवाली करने के साथ गाँव में शांति व्यवस्था और अपराधों पर नियंत्रण करना है उत्तर प्रदेश पुलिस रेगुलेशन एक्ट के अध्याय 9 में चौकीदार अथवा ग्राम पुलिस के अधिकार कर्त्तव्य और नियुक्ति संबंधी व्यवस्था का वर्णन किया गया है चौकीदार की नियुक्ति का अधिकार जिला मजिस्ट्रेट को होता है ! मध्य प्रदेश में चौकीदार अथवा ग्राम पुलिस को कोटवार के नाम से जाना जाता है ....!!
                बुंदेलखंड में प्रारंभिक रूप से चौकीदारी या ग्राम पुलिस की जिम्मेवारी खंगार जाति के लोगों को सौंपी गयी खंगार बुंदेलखंड अथवा विंध्यांचल क्षेत्र की मूल निवासी प्राचीन क्षत्रिय जाति है अपने अदम्य साहस और क्रांतिकारी गतिविधियों  के लिए प्रख्यात यह जाति एक समय बुंदेलखंड की राज्यधिकारिणी जाति थी और बुंदेलखंड के बृहद भूभाग पर उनका शासन होने की पुष्टि विभिन्न स्त्रोतों से होती है ! राजसत्ता से बेदखल होने के उपरांत यह जाति दुस्साहसिक अभियानों द्वारा अपनी आजीविका चलाती रही बुंदेला और मराठा काल में अपने समय की यह कोटपाल जाति स्थानीय शासकों की सहमति से नगर में कोतवाल और ग्राम में कोटवार का दायित्व सम्हालती रही ....!!
              1857 ई• की क्रांति में खंगारों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया और वे अंग्रेजों की आँखों की किरकिरी बन गए ! ब्रिटिश राज में जब स्थानीय बंदोबस्त की प्रक्रिया प्रारम्भ हुई तब अंग्रेजों ने गाँव गाँव में क्रांतिकारी जातियों की निगरानी के लिए इन्ही की जाति के चौकीदारों को अधिनियमित किया ! बुंदेलखंड में भी कांटे से कांटा निकालने की सोच के साथ अंग्रेजों ने खंगारों के हाथ में खंगारों की निगरानी सौंप दी और उन्हें 1861 के पुलिस अधिनियम द्वारा अधिनियमित कर दिया किन्तु अंग्रेजों का खंगारों पर यह प्रयोग सफल नही हुआ शासन के खिलाफ खंगारों का विद्रोह और अधिक सशक्त हो गया ! खंगार चौकीदार ब्रिटिश शासन की बजाय स्वजातीय क्रांतिकारियों के प्रति अत्यधिक बफादार थे जो अंग्रेजों की नजर में चोर बदमाश थे और शासन को अस्थिर करने  में लगे हुए थे ....!!
             सन् 1871 में स्थानीय ब्रिटिश कमिश्नर ने बड़ी संख्या में खंगार चौकीदारों को शासन के खिलाफ अपराधों में संलिप्त पाये जाने की रिपोर्ट भेजते हुए उन्हें न केवल चौकीदारी से अपदस्थ किया बल्कि विविध अपराधों में उनको जेल भी भेज गया District gazetteer Jalaun के अनुसार 1871 में खंगारों को विलेज पुलिस ऑफिस से अपदस्थ कर दिया गया और 21 खंगार चौकीदारों को विविध अपराधों में दण्डित किया गया इसी घटना के हवाले से तत्कालीन ब्रिटिश अधिकारी EDWIN T. ATKINSON ने Statistical Descriptive account of the North Western provinces of India में लिखा कि इस दौरान जालौन जिले में चार हत्या , एक लूट , 459 गृह अतिचार और 490 चोरियां हुयीं जिनके लिए 699 लोगों का परिक्षण हुआ जिनमे से 448 को सजा मिली , डिवीज़न कमिश्नर ने विलेज वॉचमैन को अविश्वसनीय मानते हुए अपनी रिपोर्ट में लिखा कि "बहुतायत में चोरी की घटनाएं या तो उन्ही चौकीदारों द्वारा अथवा इन्ही के द्वारा योजित की गयीं हैं और जिन अपराधियों को सजा मिली है उनमे से ज्यादातर खंगार जाति से ही सम्बंधित हैं जो कि आपराधिक गतिविधियों के लिए दर्ज हैं ".......!
                         खंगारों को चौकीदारी से अपदस्थ करने के बाद अंग्रेजों के समक्ष इस पद को भरे जाने की समस्या खड़ी हो गयी क्योंकि कोई भी जाति खंगारों की जगह ले पाने में सक्षम नही थी हालांकि बाद में इस पोस्ट पर  खंगारों के साथ अन्य जातियों के पदस्थ होने की पुष्टि जालौन गजेटियर करता है !  
             इसी दौरान झाँसी जनपद में भी विलेज पुलिस की स्थापना हुयी किन्तु जालौन जिले के कटु अनुभवों और खंगारों की दुस्साहसिक गतिविधियों से छड़के हुए अंग्रेज खंगारों को चौकीदारी के लिए अधिनियमित करने के उपयुक्त नही समझ रहे थे ! कमिश्नर की धारणा थी कि खंगार यहाँ भी जालौन की तरह ही अविश्वसनीय होंगे किन्तु स्थानीय प्रशासकों का दावा था कि खासतौर पर खंगार ही इस पद की जिम्मेवारी को वहन करने के योग्य हैं वे इस परम्परागत पेशे को अंगीकृत किये हुए हैं और वे ही इसे सम्हालने में सक्षम हैं ! कदाचित आगे स्थानीय प्रशासकों की अनुशंसा पर ही खंगार इस पद पर अधिनियमित हुए ! 1909 में प्रकाशित झाँसी गजेटियर में खंगारों के बारे में दर्ज है कि "इस जाति के लोगों की संख्या 9077 है जो पुरे जिले में बिखरे हुए हैं परंपरागत स्त्रोतो से यह बहुत ही रोचक है कि एक समय झाँसी और हमीरपुर सहित एक वृहद भूभाग पर खंगारों का शासन था इस कुल का मुख्यालय गढ़ कुंडार था जो कि अब ओरछा रियासत में स्थित है और खंगार राजा जिन्होंने चंदेल सत्ता के विखंडित होने के पश्चात् अपनी सत्ता स्थापित की अपने को राजपूत कहते हैं आजकल उनकी सामाजिक दशा निम्नतर है और वे बड़ी संख्या में चौकीदार पदस्थ हैं चौकीदारी के मामले में वे बाँदा के अरख और अवध के पासी सरीखी स्थिति रखते हैं " ..........यहाँ यह गौर तलब है कि अबध के पासी और बाँदा के अरख भी अपने अपने क्षेत्र में परंपरागत चौकीदारी और क्रांतिकारी गतिविधियों के लिए प्रख्यात रहे हैं खंगारों की तरह ही इनको भी क्रन्तिकारी गतिविधियों के लिए अंग्रेजो ने ज़रायम पेशा जातियों (criminal tribes) में अंकित किया ! खंगारों की तरह पासियों का भी सुदूर अतीत में शासन करना ज्ञात होता है बाँदा और अवध गजेटियर अरख और पासियों को प्राथमिक तौर पर चौकीदार होना स्वीकार करते हैं ! बाँदा गजेटियर के अनुसार 1909 में बाँदा जिले में अरखों की संख्या 18909 थी अरख खेतिहरों के मातहत जाति थी वे गाँव के परंपरागत चौकीदार हैं और खंगार जो झाँसी जालौन और हमीरपुर के वृहद् भाग में चौकीदारी में उनके सामान हैं उनकी शाखा की तरह स्वीकार किये जाते हैं !
                      हमीरपुर के बारे में लिखते हुए EDWIN T . ATKINSON ने उल्लेख किया कि "खंगार शूद्रों में शामिल नहीं हैं .......प्राथमिक तौर पर खंगार ही चौकीदार थे बाद में अन्य जातियाँ शामिल की गयीं चौकीदार आपराधिक कृत्यों के लिए बदनाम हैं जिस बदनामी से वे आज तक जकड़े हुए हैं .......लेकिन चौकीदार के तौर पर वे नियमानुसार अच्छे और योग्य व्यक्ति हैं उनमे अच्छे पुलिस की पात्रता है और वास्तव में अपनी वर्त्तमान अधीनस्थ क्षमतानुसार वे सच्चे पुलिस या सिपाही हैं " वह आगे उद्धृत करता है कि एक समय खंगारों ने अपनी ताकत के बल पर अथवा शासकों की सहमति से खुद को इस क्षेत्र में प्रथम स्थान पर स्थापित कर लिया था एक मान्यता के अनुसार खंगार महोबा के उपप्रशासक रहे हैं"........!! 
                                कोटवार मूलतः कोटपाल से जन्मा शब्द है जो कि आजकल मध्य प्रदेश पुलिस व्यवस्था में चौकीदार के लिए प्रयुक्त होता है , कोटपाल से ही कोतवाल शब्द की भी उत्पत्ति हुई कोतवाल नगर प्रशासन और कोटवार ग्रामीण प्रशासन की महत्वपूर्ण इकाई थे दोनों ही व्यवस्थाओं पर बुंदेलखंड में खंगार आरूढ़ थे  ! पुलिस प्रशासनिक व्यवस्था में कोटपाल के कोतवाल ने  तो अपना रसूख बरक़रार रखा लेकिन कोटवार प्रशासन के सबसे निचले पायदान पर सिमट कर रह गया ! ETHNOGRAPHY (1912) में भारत के चौकीदारों (watchman)विश्लेषण करते  हुए लेखक Sir Athelstane baines लिखता है कि  "बुंदेलखंड में खंगार जाति अपने आत्मविश्वास और क्षमता के कारण चौकीदारी में आये निस्संदेह खंगार विंध्यांचल की मूलनिवासी जाति है जिनका राजपूतों से संपर्क के कारण ब्राह्मणीकरण हुआ और वे चौकीदार और कोतवाल के रूप में भी जनगणना में दर्ज हुए किन्तु वे अन्य स्थानों की चौकीदार जातियों से सम्बंधित नहीं हैं .....!
                      वरिष्ठ पत्रकार "अजीत वडनेरकर" ने अपने स्थाई स्तम्भ "शब्दों का सफ़र" में " गरीब कोटवार - अमीर कोतवाल" लेख के माध्यम से चौकीदार पर प्रकाश डालते हुए चौकीदारों को वनवासी क्षत्रिय जाति निरूपित किया उन्होंने आगे लिखा कि यह दिलचस्प बात है कि एक ही मूल से बने कोतवाल और कोटवार जैसे शब्दों कोटपाल से कोतवाल बनने के बाबजूद भी रसूख कायम रहा जबकि कोटवार की इतनी अवनति हुई कि वह पुलिस प्रशासनिक व्यवस्था के सबसे निचले पायदान का कर्मचारी बनकर रह गया !
                           आज भी खंगार ही बुंदेलखंड के अधिकांश ग्रामों में चौकीदारी में सलंग्न हैं उनकी मासिक पगार बहुत ही कम है इस कारण उनकी सामाजिक आर्थिक और शैक्षणिक दशा बहुत ही दयनीय है देश धर्म की खातिर अपने प्राणों का उत्सर्ग करने वाले क्रांतिकारियों की यह पीढ़ी आज भी उपेक्षित है बुंदेलखंड के इस वंचित वर्ग के समग्र विकास के लिए सरकारों को बड़े कदम उठाने की जरुरत है पर गरीब दलित और वंचितों की बात करने वाली सरकारों के कदम पता नही क्यों नही उठते और उठेंगे भी तो कब उठेंगे कुछ कहा नही जा सकता ..............!!
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ब-कलम
अशोक सूर्यवेदी एडवोकेट 
मऊरानीपुर झाँसी (यूपी)
मो. 9450040227
.




59 comments:

  1. Khangar sc me aten h ya obc me please reply

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    1. कौन से राज्य मे जनरल मे है सटीक जानकारी दीजिए प्रमाण के साथ

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  2. खंगार मध्यप्रदेश राजस्थान छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में SC में और बिहार झारखंड में OBC में आते हैं ....!!

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    1. Pure mp m to nhi aate mp ke 14 jile m aate hai bas baki jile m obc or gen m ate hai ye bhi to btaya karo bhai sahab g

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    2. ए तो राजपूत क्षत्रिय समाज के है फिर scमे कैसै

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    3. Hnn bo kshatriya hai ye mother chod to apni bahan chuda rahe hai

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  3. खंगार मध्यप्रदेश राजस्थान छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में SC में और बिहार झारखंड में OBC में आते हैं ....!!

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    1. ए तो राजपूत क्षत्रिय समाज के है फिर scमे कैसै

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    2. Aur up me general me ate h

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  4. Sar DAHIYA Dahayat ko SC our kahi kahi obc me samlit kiya gaya hai yaha es kahi ko bahut giraya gaya ham Kshatriya hai magar raksha karte karte neeche hi gira diya logo NE sab apni kom ka dyan diya par hamare par itna Bada bhed bhav kiu hua tha hame waisa hi sastro ka Sao our baisa hi saok hamare khon me aaj bhi hai par bundel khand vaghel khand Sudra mante hai our apmanit karte hai log, DAHIYA dahiyavat/Dahayat sab yek hi hai

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  5. Sar DAHIYA Dahayat ko SC our kahi kahi obc me samlit kiya gaya hai yaha es kahi ko bahut giraya gaya ham Kshatriya hai magar raksha karte karte neeche hi gira diya logo NE sab apni kom ka dyan diya par hamare par itna Bada bhed bhav kiu hua tha hame waisa hi sastro ka Sao our baisa hi saok hamare khon me aaj bhi hai par bundel khand vaghel khand Sudra mante hai our apmanit karte hai log, DAHIYA dahiyavat/Dahayat sab yek hi hai

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  6. U.P.ke Arakh ke bare me history kya hai
    Hardoi,Malihabad,Sandila.

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  7. दाहिया या खंगार म.प्र. मे एक जैसी ही हालत है ये समाज पन्ना जिला मे खंगार या दाहिया गरीबी है बैश्य श्रेणी मे आते है लेकिन ब्राहमण बादी सूद्र श्रेणी समझते है ।क्योकी गरीब है इसलिए जो जात धनवान है ब्राहमण बादी लोग उसकी जात नही देखते उसे राजपूत बनाये हुए है। क्योकी खाने का जुगाड है हमारे पूर्वज बताते है की पहले इज्जत हर समाज करती थी पैर पडती थी राजपूत कहते थे जैसे जैसे गरीब हुए लोग गिराते चले गये हमे गर्भ है की हम सूर्यवंशी क्षत्रीय है और हमेशा मानते आये है। हमारे पूर्वज तलवार बाधना घोडे पर चलना बंदूक टागना कंन्धे पर सौक समझते थे। क्षत्रीयो का यही प्रमाण होता है ऊचे क्षत्री को छोटा बनाया छोटे क्षत्री म.प्र मे बडे बन गये क्षत्रीयो ने इस बात पर ध्यान ही नही दिया न साशन ने म.प्र.मे एस्सी ओबीसी मे आती है यह समाज फायदा बागरी समाज ले रही है सतना पन्ना मे जबकी यह समाज धनबान समाज है यह हरिजन योग्य नही है फिर भी शासन का फायदा उठा रहे है।

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  8. दाहिया या खंगार म.प्र. मे एक जैसी ही हालत है ये समाज पन्ना जिला मे खंगार या दाहिया गरीबी है बैश्य श्रेणी मे आते है लेकिन ब्राहमण बादी सूद्र श्रेणी समझते है ।क्योकी गरीब है इसलिए जो जात धनवान है ब्राहमण बादी लोग उसकी जात नही देखते उसे राजपूत बनाये हुए है। क्योकी खाने का जुगाड है हमारे पूर्वज बताते है की पहले इज्जत हर समाज करती थी पैर पडती थी राजपूत कहते थे जैसे जैसे गरीब हुए लोग गिराते चले गये हमे गर्भ है की हम सूर्यवंशी क्षत्रीय है और हमेशा मानते आये है। हमारे पूर्वज तलवार बाधना घोडे पर चलना बंदूक टागना कंन्धे पर सौक समझते थे। क्षत्रीयो का यही प्रमाण होता है ऊचे क्षत्री को छोटा बनाया छोटे क्षत्री म.प्र मे बडे बन गये क्षत्रीयो ने इस बात पर ध्यान ही नही दिया न साशन ने म.प्र.मे एस्सी ओबीसी मे आती है यह समाज फायदा बागरी समाज ले रही है सतना पन्ना मे जबकी यह समाज धनबान समाज है यह हरिजन योग्य नही है फिर भी शासन का फायदा उठा रहे है।

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    1. Sir ji दहायत कोन सी जात है कहा से आए इनका युग पूरूष कौन है

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  9. आरक क्षत्रिय प्रथ्वीराज चौहान दिल्ली सम्राट के सेनापती हौहली राव की संतान है। ये सूर्यवंश शाखा है हौहली राव सूर्यवंशी क्षत्रिय रहे जो युद्ब परागण थे। बुजुर्गो के द्वारा बताया जाता रहा ये खडक धारी योद्धा खंगार गहे गये तब से खंगार श्रेणी मे आते है और खंगार कहे जाते है। इस बंश का राज्य छावनी गढ रहा राजा हौहलीराव सम्राट प्रथ्वीराज चौहान के प्रिय सेनापती रहे जो इतिहास के पन्नो मे सुनहरे अक्षरो मे लिखा कवि चंदवरदाई ने जाती कुछ लोगो ने छिपाने का काम किया मगर इतिहास छिपता नही छिपाने से ।

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  10. आरक क्षत्रिय प्रथ्वीराज चौहान दिल्ली सम्राट के सेनापती हौहली राव की संतान है। ये सूर्यवंश शाखा है हौहली राव सूर्यवंशी क्षत्रिय रहे जो युद्ब परागण थे। बुजुर्गो के द्वारा बताया जाता रहा ये खडक धारी योद्धा खंगार गहे गये तब से खंगार श्रेणी मे आते है और खंगार कहे जाते है। इस बंश का राज्य छावनी गढ रहा राजा हौहलीराव सम्राट प्रथ्वीराज चौहान के प्रिय सेनापती रहे जो इतिहास के पन्नो मे सुनहरे अक्षरो मे लिखा कवि चंदवरदाई ने जाती कुछ लोगो ने छिपाने का काम किया मगर इतिहास छिपता नही छिपाने से ।

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  11. Me Brijesh singh bargarh mau chitrakoot u.p.arakh cost hone me garbh karta hoo jai jai arkvansh

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  12. सर् मध्यप्रदेश में जो कोटवार हैं वो कोटपाल क्षत्रिय के वशज से हैं जो धीरे धीरे कोटवार बन गये और अब चुनावी राजनीति में वोट के लिए जोड़कर खंगार दाहिया और आरख कोटवार सभी को एक ही कटेगरी के कुछ लोग बना देना चाहते हैं जो न्याय संगत नही है

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  13. सर् मध्यप्रदेश में जो कोटवार हैं वो कोष्ठठपाल से कोटपाल कोटपाल से कोटवार हो गया जो कि क्षत्रिय के वशज से हैं जो धीरे धीरे दहिया से कोटवार बना दिए गये और अब चुनावी राजनीति में वोट के लिए जोड़कर खंगार कोटवार(दहायत) और आरख कोटवार पनिका कोटवार भी (दाहिया) लिखते हैं सभी को एक ही कटेगरी के कुछ लोग बना देना चाहते हैं जो न्याय संगत नही है

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    2. भाई तुमको ज्यादा पता है क्या, तो जब खंगार ठाकुर है तो तुम क्यों अनुसूचित जाति में जा रहे हो

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    3. Ye katora wale thakur hain ji
      Khangar ke name ka chola odake inko kuchha pata n

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  14. सर् मध्यप्रदेश में जो कोटवार हैं वो कोष्ठठपाल से कोटपाल कोटपाल से कोतवाल से कोटवार हो गया जो कि क्षत्रिय के वशज से हैं जो धीरे धीरे दहिया से कोटवार बना दिए गये और अब चुनावी राजनीति में वोट के लिए जोड़कर खंगार कोटवार(दहायत) और आरख कोटवार पनिका कोटवार भी (दाहिया) लिखते हैं सभी को एक ही कटेगरी के कुछ लोग बना देना चाहते हैं जो न्याय संगत नही है

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  15. Khngaar Kshtriy h or Kshtriy kbhi dalit nhi ho skta hum to aaj bhi khte h hme nhi chahiye aarkshn hme apna swabhiman psndd h

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    1. वाह जे भई ठकुरन वाली बात हुकुम, जय राजपुताना

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    2. bhai ji apka name our mobile n. De
      Apke jaisa sathi chahiye hame

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    3. bhai ji apka name our mobile n. De
      Apke jaisa sathi chahiye hame

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    4. bhai ji apka name our mobile n. De
      Apke jaisa sathi chahiye hame

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    5. Sahi kaha bhaiya aap ne hme nhi chahiye arakshan..... Arakshan ijjat se bda nhi h...... Kahi gavo me to sale khangaro ke sath sc wala hi behavior krte h jaha km sankhya h khangaro ki

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    6. Hat mother chodo hum thakur ki ladkiyo se sadi karte hai bahanchod abki bar agar aise khabar dali to gaand par bomb lagauga sale mother chodo tumhari kyu gaand mar rahi hai khangar se unhone kon si tumhari mummy chod di jo itne jalte ho mother chodo phir jab bahan chodegi to unhi ko Jeeja ji bataoge acche se

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  16. खंगार समाज को मध्यप्रदेश में अनुसूचित जाति कब में कब जोड़ा गया अगर किसी भाई के पास कोई जानकारी हो तो बताएं कौन से सन में इसी बात पर मध्य प्रदेश शासन के आदेश की प्रति हो तो भेजना

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    1. इस विषय पर "आरक्षण में खंगार जाति" नाम से लेख प्रकाशित है आप उसे पढ़ सकते हैं इसी ब्लॉग में....

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    2. इंदिरा गांधी के समय समुद्रा राय जो सागर से संसद कांग्रेस की थी उन्होंने किया

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  17. बहुत अच्छी जानकारी

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  18. खंगार जाति काऔर दहायत जाति का इतिहास चाहिये था दहायत
    और कौन सी जाति से बना कब और क्यू और.......

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    1. थोड़ा सा सब्र और कीजिये अथवा कॉल कर लीजिए 9450040227

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    2. Ht mother chodo tumhari bahan ki choot jo khangar ko nicha samajhta hai

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  19. Sir ji Chadar Kati me bare me btay

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  20. Sir g Chadar Kati me bare me btay

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    1. सही कहा भाई क्योंकि चौकीदारी का काम तो चिडारो का है

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  21. सर चिडार जाति के बारे में वताऐ क्योंकि वर्तमान में 80% चौकिदार चिडार जाति के है

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    1. A chidar jati kon hai 80% nhi 100% khangar rajput te

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  22. Bhai khangar samaj ko
    St me kab kiya gya tha pleaj batao Yar pleaj


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  23. Nhi krna chahiye tha sc me....

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  24. Kya faltu bakbas kar rahe ho mother chodo khangar kshatriya hai or kshatriya rahenge jalne bale jalenge sale

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  25. Apne baap maharaja khetsingh khangar ko dekho phle unka itihas dekho jara kis mother chod mai hai singh ka mu fadne ki

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  26. Sale bahan ki or mummy ki to ijjat nhi bacha pate or aa gye khangar ko nicha dikhane sale or mother chodo ki chamar jaise to balue hai khangar kshatriya hai or kshatriya rahega chahe koi bhi mother chod kuch bhi karle bahanchod sale bakchodi karte hai ak goli ke to hai nhi jab samne maa chudwaoge tab

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  27. Jisko pata nhi to apne baap ka name sunlo maharaja khetsingh khangar kshatriya garhkundar aa jana baap mil jayega sab mother chod ka

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  28. Khangar general mai aate hai sabhi jagah

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  29. Sale sabki maa chod dunga agar chokidar bola to

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