स्वतंत्रता की रक्षा में सनद्ध स्वतंत्रता प्रेमी जातियों के उन्मूलन के लिए जब ब्रिटिश सरकार ने सन् 1871 में क्रिमिनल ट्राइब्स एक्ट नाम का काला कानून पारित किया तब बहुत सी स्वतंत्रता प्रेमी जातियाँ जो इस काले कानून की जद में आई नाना प्रकार से उत्पीड़ित की गयी इस काले कानून में स्वतंत्रता प्रेमी जातियों के महिला बच्चों और बुजुर्गों के लिए भी कोई रियायत नही थी इस एक्ट को पास कराने वाले सांसद मिस्टर स्टीफन थे। उन्होंने कहा था कि डॉक्टर के यहां
डॉक्टर, वकील के यहां वकील पैदा होते हैं और चोर के यहां चोर, गुनेहगार के यहां गुनेहगार और डाकू के यहां डाकू पैदा होते हैं।
इसका मतलब यह है कि जो बच्चा इन वर्गों में जन्म लेता है, वह जन्म लेते ही अपराधी और गुनेहगार कहलाता था। इस काले कानून में ऐसे प्रावधान थे कि इन समुदायों को कहीं घूमने-फिरने
की भी इजाजत नहीं थी। सुपरिंटेंडेंट ऑफ पुलिस यदि एक बार इन्हें सजा सुना देता था, तो वही आखिरी फैसला माना जाता था। इन्हें कोर्ट में जाने का कोई अधिकार नहीं था। यह एक अमानवीय कानून था। यदि इन्हें एक गांव से दूसरे गांव जाना होता था, तो
जिस गांव में ये जाते थे, उस गांव में जो पुलिस पोस्ट होती थी, उसके पास इन्हें अपना नाम दर्ज कराना पड़ता था। इतना ही नहीं, इनके माथे पर, एक लोहे के सिक्के को खूब गर्म कर के, उसकी मोहर लगाई जाती थी, ताकि इनकी पहचान हो सके कि ये क्रिमिनल कास्ट से आए हैं। इन लोगों के साथ इतना घोर अन्याय ब्रिटिश लोगों ने किया कि इंसानियत की रूह काँप गयी ! खंगार , लोधी , चढ़ार, जोगी , लोहगढ़िया और कबूतरा सहित बुंदेलखंड की और समग्र भारत की 160 जातियाँ अपने अपने अस्तित्व की रक्षार्थ बेचैन हो उठी ! खंगार यौद्धेय रक्त था आयुधजीवी वृत्ति थी उनकी उनके पास जंगल में उतरने के सिवाय कोई चारा न था बहुतेरे खंगार परिवार अंग्रेजों की गोलियों की भेंट चढ़े और बहुतेरे परिवार जंगलों में गुमनामी जीवन जीने को विवश हुए खंगारों की जागीरें और जमीनें छीन ली गयी कुछ एक परिवारों ने ब्रिटिश हुकूमत की मातहती स्वीकार कर ली और ग्राम कोटवार या चौकीदार का पद सम्हाल कर अपने परिवार की रक्षा की जब 1919 में ब्रिटिश हुकूमत के अधीन भारत की जनगणना की गयी तब क्रिमिनल ट्राइब्स एक्ट से घबराये लोगों ने अपनी जाति ही बदल डाली और खुद का परिचय दूसरी जाति से बता दिया कइएक आतंकित खंगार जनों ने भी अपने को "परिहार" बताया ! कालांतर में खंगार आश्रित चारण और भाटों ने उनको परिहार वंशी घोषित करने की कुचेष्टा की और अपनी पोथियों में संशोधन करते हुए उन्हें परिहार वंश में स्थापित करने की कोशिश की और खंगारों के गौरवशाली इतिहास की पूरी पूरी उपेक्षा कर डाली इसी समय गुजरात के सोरठ कच्छ और भुज का इतिहास कन्हैया लाल माणिक लाल मुंशी जी के कर कमलों द्वारा प्रकाशित हुआ और भाटों ने सोरठ कच्छ और भुज के खेंगार/खंगार नामधारी राजाओं से खंगार जाति का सम्बन्ध बता डाला जो कि पूर्णतयः अमान्य है भाट पोथियाँ और उनका अनुशरण करने वाले लेखक जूनागढ़ सौराष्ट्र के शासकों को और कभी कभी कच्छ के शासकों को परिहार बताकर उनकी 12 शाखाएं गिनाते हुए एक शाखा में कल्पित खेंगेराव (जो कि खेंगार जी हैं) के नाम से खंगार शाखा के विस्तार की बात कह देते हैं इन कल्पित कथाओं की वास्तविकता परखने के लिए खंगार जाति के प्रथम संगठनकर्ता श्रद्धेय श्री ओमप्रकाश जी ठाकुर "अनूप" ने कच्छ के राजपरिवार को पत्र लिखकर जूनागढ़ और कच्छ के राजघराने से खंगार जाति से सम्बन्ध की बाबत प्रश्न किया जिसका उत्तर देते हुए कच्छ के महाराज साहेब के प्रिवी पर्स अधिकारी श्री गोडजी आर जड़ेजा ने लिखा कि "हमारे यहाँ के इतिहास में ऐसा कोई आलेख नही है सिर्फ कोई कोई पीढ़ी पर युवराज जी का नाम ही खेंगारजी रहा है पर उनके नाम से कोई जाति की संज्ञा नही चली और यहाँ पर कोई खेंगार/ खंगार जाति का बना हुआ समाज नही है"
यहाँ एक बात और भी स्पष्ट करनी है कि कच्छ का शासक जडेजा राजकुल है जो सिंध के सामा शासकों की प्रशाखा है इनको परिहार कहा जाना सर्वथा अनुचित है और अप्रमाणिक है इसी प्रकार सोरठ का शासक राजकुल भी सिंध के सामाओं का वंश है जो खुद को सामावंशी कहते हैं उनका भी परिहारों से कहीं कोई सम्बन्ध नही है ! यह सब कहने का मेरा उद्देश्य मात्र इतना सा है कि कपोल कल्पित इतिहास के मायाजाल से बाहर निकलो और अपने पूर्वजों के गौरव को याद रखते हुए प्रगति के पथ पर आगे बढ़ो .........इति शुभम्........!!
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*बकलम*
"अशोक सूर्यवेदी एडवोकेट"
मऊरानीपुर झाँसी (उ.प्र.)
मो.9450040227
Sunday, May 31, 2015
काला कानून और खंगार
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Plees dahiya/khangar ki koi vansawali ho to dijiye
ReplyDeleteOur khangaro ki puri jankari de
YouTube par h check kar lo
DeleteKachchh ke jadeja pariwar pariwar se hi khangaro ki utpatti hai gotra or vans milan se sabit hota hai atra gotra yaduvans shakha khager bhati jadeja in sabme lagta hai
ReplyDeleteKhangar bhi yaduvansh ka hi sakha hai kya
DeleteHan khangar cudamasa vansh se nikle hai
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