मैंने पूछा श्रीमती जी , करवाचौथ राखती हो ,
क्या है राज छोड़ लाज , मुझे बतलाइये !
स्वस्थ हूँ मैं , सांड हूँ मैं , राम जी का बाण हूँ ,
मेरे लिए भूखी आप , ये न जतालाइए !
श्रीमती जी हार के , फिर बोली हमसे प्यार से ,
कौन हैं जी आप , हमें ये न जतालाइए !
गृहलक्ष्मी हूँ मैं स्वामी , उल्लू ही बने रहो ,
ताहि सों रखा है चौथ, सत्य जान जाइये ...!!!
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