मऊरानीपुर ................एक अद्भुद
बस्ती है . स्थापत्य की दृष्टि से यह
अयोध्या की बराबरी करती है
इसीलिए
मिनी अयोध्या कहलाती है..... ...सरयू
जी की तरह इस बस्ती में सुखनई
प्रवाहित होती है ......... जिसके
तीरों पर भव्य मंदिर हैं
जहाँ की शोभा अतुलनीय है .....
यहाँ धनुषधारी भगवान् श्री राम भी हैं
और सुदर्शन धारी भगवान् श्री कृष्ण
भी हैं ........... माता के शक्ति पीठ हैं
तो महादेव के मंदिर भी हैं .....
बस्ती की सुरक्षा में हनुमत लाल
की चहुदिस चौकस चौकी है .....यहाँ के
जलविहार अपनी एक विशिष्ठ पहचान
रखते हैं .......... ब्रिटिश हुकूमत
को चुनौती देने वाले भगवान् गूदर
बादशाह ......... और अपनी कलाओं के
लिए लोक में विख्यात नवल दउआ
भगवान् लठाटोर जी जलविहार
की शान हैं जिनके दर्शन
को सारा प्रदेश उमड़ पड़ता है .......यह
बस्ती साहित्यिक रूप से भी बहुत
सम्रद्ध है कहा जाता है कि सुखनाई के
पानी में साहित्य है .............
अपनी इन्ही विशिष्ठताओं को संजोय
मऊरानीपुर उत्तर भारत की एक प्रमुख
बस्ती है यहाँ महुआ के
पेड़ों की अधिकता है शायद इसीलिए
इस बस्ती का नाम मऊरानीपुर हुआ
है........ दस्तावेजी जानकारी से इस
बस्ती को राजा मधुकर शाह ने
बसाया था इसीलिए इसका नाम
मधुपुरी भी रहा है ..... इस बस्ती में
प्रसासनिक व्यवस्था के लिए
"भोजराज खंगार" को कोतवाल
नियुक्त किया था था .......इसलिए यह
बस्ती भोज की मधुपुरी नाम से
जानी गयी ......कालांतर में लोगो ने
कोतवाल भोजराज को "राजा भोज"
मान लिया ........ और यह प्रचालन में
आ गया कि यह शहर राजा भोज के
द्वारा बसाया गया ............
कथा चाहे कुछ भी हो ........पर यह
शहर , शहर की सुखनई , शहर के मंदिर ,
शहर की परंपरा , शहर के लोग , शहर
का साहित्य सब कुछ अतुलनीय
है .........वन्दनीय है अभिनंदनीय
है .........
Friday, December 18, 2015
मऊरानीपुर
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