Monday, August 4, 2014

"शाश्वत सत्य और गढ़कुंडार"

झूठी रीती झूठी प्रीती ,
झूठे रिश्ते नातेदार !
झूठे बंधन झूठी माया ,
झूठा है यह संसार !
दुनियां भर के भोग भोगकर ,
सेज मिलेगी शोलों की !
शाश्वत सत्य जगत में एक ही ,
बोध कराता गढ़ कुंडार !!
..............."अशोक सूर्यवेदी"

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