Tuesday, August 5, 2014

"गुरु गढ़कुंडार"

दुनियाँ भर की पोथीं पढ़ लो ,
ग्रंथों वेदों का भी सार !
जीवन स्नातक हो जाओगे ,
आ जाओ बस इक ही बार !
जीवन की शाला का दर्शन ,
यहाँ रमा है कण कण में !
शाश्वत सत्य का पाठ पढाता ,
रहकर मौन भी गढ़ कुंडार !!
..................."अशोक सूर्यवेदी"

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